मंगलवार, 1 नवंबर 2011

हिंदी मुहावरे

हिंदी मुहावरे
लिखे ईसा पढ़े मूसा
अर्थः गंदी लिखावट।
लेना एक न देना दो
अर्थः कुछ मतलब न रखना।
लोहा लोहे को काटता है
अर्थः प्रत्येक वस्तु का सदुपयोग होता है।
वहम की दवा हकीम लुकमान के पास भी नहीं है
अर्थः वहम सबसे बुरा रोग है।
विष को सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता
अर्थः किसी चीज़ का प्रभाव बदल नहीं सकता।
शैकीन बुढि़या मलमल का लहँगा
अर्थः अजीब शौक करना।
शक्करखोरे को शक्कर मिल ही जाता है
अर्थः जुगाड़ कर लेना।
सकल तीर्थ कर आई तुमडि़या तौ भी न गयी तिताई
अर्थः स्वाभाव नहीं बदलता।
सख़ी से सूम भला जो तुरन्त दे जवाब
अर्थः लटका कर रखनेवाले से तुरन्त इंकार कर देने वाला अच्छा।
सच्चा जाय रोता आय, झूठा जाय हँसता आय
अर्थः सच्चा दुखी, झूठा सुखी।
सबेरे का भूला सांझ को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता
अर्थः गलती सुधर जाए तो दोष नहीं कहलाता।
समय पाइ तरूवर फले केतिक सीखे नीर
अर्थः काम अपने समय पर ही होता है।
समरथ को नहिं दोष गोसाई
अर्थः समर्थ आदमी का दोष नहीं देखा जाता।
ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार
अर्थः रिश्तेदारी में दो चार दिन ठहरना ही अच्छा होता है।
सहज पके सो मीठा होय
अर्थः धैर्य से किया गया काम सुखकर होता है।
साँच को आँच नहीं
अर्थः सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं होता।
साँप के मुँह में छछूँदर
अर्थः कहावत दुविधा में पड़ना।
साँप निकलने पर लकीर पीटना
अर्थः अवसर बीत जाने पर प्रयास व्यर्थ होता है।
सारी उम्र भाड़ ही झोका
अर्थः कुछ भी न सीख पाना।
सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है
अर्थः जाँच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है।
सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है
अर्थः परिस्थिति को न समझना।
सावन हरे न भादों सूखे
अर्थः सदा एक सी दशा।
मुँह में राम बगल में छुरी
अर्थः ऊपर से मित्र भीतर से शत्रु।
मुँह माँगी मौत नहीं मिलती
अर्थः अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता।
मुफ्त की शराब काज़ी को भी हलाल
अर्थः मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं।
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक
अर्थः सीमित दायरा।
मोरी की ईंट चौबारे पर
अर्थः छोटी चीज का बड़े काम में लाना।
म्याऊँ के ठोर को कौन पकड़े
अर्थः कठिन काम कोई नहीं करना चाहता।
यह मुँह और मसूर की दाल
अर्थः औकात का न होना।
रंग लाती है हिना पत्थर पे घिसने के बाद
अर्थः दु:ख झेलकर ही आदमी का अनुभव और सम्मान बढ़ता है।
रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई
अर्थः घमण्ड का खत्म न होना।
राजा के घर मोतियों का अकाल?
अर्थः समर्थ को अभाव नहीं होता।
रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी
अर्थः रूठने से अपना ही नुकसान होता है।
राम की माया कहीं धूप कहीं छाया
अर्थः कहीं सुख है तो कहीं दुःख है।
राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी
अर्थः बराबर का मेल हो जाना।
राम राम जपना पराया माल अपना
अर्थः ऊपर से भक्त, असल में ठग।
रोज कुआँ खोदना, रोज पानी पीना
अर्थः रोज कमाना रोज खाना।
रोगी से बैद
अर्थः भुक्तभोगी अनुभवी हो जाता है।
लड़े सिपाही नाम सरदार का
अर्थः काम का श्रेय अगुवा को ही मिलता है।
लड्डू कहे मुँह मीठा नहीं होता
अर्थः केवल कहने से काम नहीं बन जाता।
लातों के भूत बातों से नहीं मानते
अर्थः मार खाकर ही काम करने वाला।
लाल गुदड़ी में नहीं छिपते
अर्थः गुण नहीं छिपते।
मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है
अर्थः गुण जन्मजात आते हैं।
मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा
अर्थः प्रेयसी की हर चीज प्रेमी को प्यारी लगती है।
मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके
अर्थः स्वार्थी व्यक्ति को अपना स्वार्थ साधने से काम रहता है।
मन के लड्ड़ओं से भूख नहीं मिटती
अर्थः इच्छा करने मात्र से ही इच्छापूर्ति नहीं होती।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
अर्थः मन की शुद्धता ही वास्तंविक शुद्धता है।
मरज़ बढ़ता गया ज्यों- ज्यों इलाज करता गया
अर्थः सुधार के बजाय बिगाड़ होना।
मरता क्या न करता
अर्थः मजबूरी में आदमी सब कुछ करना पड़ता है।
मरी बछिया बाभन के सिर
अर्थः व्यर्थ दान।
मलयागिरि की भीलनी चंदन देत जलाय
अर्थः बहुत अधिक नजदीकी होने पर कद्र घट जाती है।
माँ का पेट कुम्हार का आवा
अर्थः संताने सभी एक-सी नहीं होती।
माँगे हरड़, दे बेहड़ा
अर्थः कुछ का कुछ करना।
मान न मान मैं तेरा मेहमान
अर्थः ज़बरदस्ती का मेहमान।
मानो तो देवता नहीं तो पत्थर
अर्थः माने तो आदर, नहीं तो उपेक्षा।
माया से माया मिले कर-कर लंबे हाथ
अर्थः धन ही धन को खींचता है।
माया बादल की छाया
अर्थः धन-दौलत का कोई भरोसा नहीं ।
मार के आगे भूत भागे
अर्थः मार से सब डरते हैं।
मियाँ की जूती मियाँ का सिर
अर्थः दुश्मन को दुश्मन के हथियार से मारना।
मिस्सों से पेट भरता है किस्सों से नहीं
अर्थः बातों से पेट नहीं भरता।
मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू-थू
अर्थः मतलबी होना।

बूँद-बूँद से घड़ा भरता है
अर्थः थोड़ा-थोड़ा जमा करने से धन का संचय होता है।
बूढे तोते भी कही पढ़ते हैं
अर्थः बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल होता है।
बिल्ली के भागों छींका टूटा
अर्थः सौभाग्य।
बोए पेड़ बबूल के आम कहाँ से होय
अर्थः जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
भरी गगरिया चुपके जाय
अर्थः ज्ञानी आदमी गंभीर होता है।
भरे पेट शक्कगर खारी
अर्थः समय के अनुसार महत्व बदलता है।
भले का भला
अर्थः भलाई का बदला भलाई में मिलता है।
भलो भयो मेरी मटकी फूटी मैं दही बेचने से छूटी
अर्थः काम न करने का बहाना मिल जाना।
भलो भयो मेरी माला टूटी राम जपन की किल्लत छूटी
अर्थः काम न करने का बहाना मिल जाना।
भागते भूत की लँगोटी ही सही
अर्थः कुछ न मिलने से कुछ मिलना अच्छा है।
भीख माँगे और आँख दिखाए
अर्थः दयनीय होकर भी अकड़ दिखाना।
भूख लगी तो घर की सूझी
अर्थः जरूरत पड़ने पर अपनों की याद आती है।
भूखे भजन न होय गोपाला
अर्थः भूख लगी हो तो भोजन के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य नहीं सूझता।
भूल गए राग रंग भूल गई छकड़ी, तीन चीज़ याद रहीं नून तेल लकड़ी
अर्थः गृहस्थीं के जंजाल में फँसना।
भैंस के आगे बीन बजे, भैंस खड़ी पगुराय
अर्थः मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना बेकार है।
भौंकते कुत्ते को रोटी का टुकड़ा
अर्थः जो तंग करे उसको कुछ दे-दिला के चुप करा दो।
दीवार के भी कान होते हैं
अर्थः सतर्क रहना चाहिए।
दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है
अर्थः जिससे लाभ होता है, उसकी धौंस भी सहनी पड़ती है।
दुनिया का मुँह किसने रोका है
अर्थः बोलने वालों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम
अर्थः दुविधा में पड़ने से कुछ भी नहीं मिलता।
दूल्हा को पत्त़ल नहीं, बजनिये को थाल
अर्थः बेतरतीब काम करना।
दूध का दूध पानी का पानी
अर्थः न्याय होना।
दूध पिलाकर साँप पोसना
अर्थः शत्रु का उपकार करना।
दूर के ढोल सुहावने
अर्थः देख परख कर ही सही गलत का ज्ञान करना।
दूसरे की पत्तल लंबा-लंबा भात
अर्थः दूसरे की वस्तु् अच्छी लगती है।
देसी कुतिया विलायती बोली
अर्थः दिखावा करना।
देह धरे के दण्ड हैं
अर्थः शरीर है तो कष्ट भी होगा।
दोनों हाथों में लड्डू
अर्थः सभी प्रकार से लाभ ही लाभ।
दो लड़े तीसरा ले उड़े
अर्थः दो की लड़ाई में तीसरे का लाभ होना।
धनवंती को काँटा लगा दौड़े लोग हजार
अर्थः धनी आदमी को थोड़ा सा भी कष्ट हो तो बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
धन्ना सेठ के नाती बने हैं
अर्थः अपने को अमीर समझना।
धर्म छोड़ धन कौन खाए
अर्थः धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती।
धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं
अर्थः अनुभवी होना।
धोबी का गधा घर का ना घाट का
अर्थः कहीं भी इज्जत न पाना।
धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे
अर्थः शक्तिशाली पर आने वाले क्रोध को निर्बल पर उतारना।
धोबी के घर पड़े चोर, लुटे कोई और
अर्थः धोबी के घर चोरी होने पर कपड़े दूसरों के ही लुटते हैं।
धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को
अर्थः सब अपने ही नुकसान की बात करते हैं।

नंगा बड़ा परमेश्वर से
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं।
नंगा क्या नहाएगा क्या निचोड़ेगा
अर्थः अत्यन्त निर्धन होना।
नंगे से खुदा डरे
अर्थः निर्लज्ज से भगवान भी डरते हैं।
न अंधे को न्योता देते न दो जने आते
अर्थः गलत फैसला करके पछताना।
न इधर के रहे, न उधर के रहे
अर्थः दुविधा में रहने से हानि ही होती है।
नकटा बूचा सबसे ऊँचा
अर्थः निर्लज्ज से सब डरते हैं इसलिए वह सबसे ऊँचा होता है।
नक्कारखाने में तूती की आवाज
अर्थः महत्व न मिलना।
नदी किनारे रूखड़ा जब-तब होय विनाश
अर्थः नदी के किनारे के वृक्ष का कभी भी नाश हो सकता है।
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े
अर्थः छोटी मुसीबत से छुटकारा पाने के बदले बड़ी मुसीबत में पड़ना।
नया नौ दिन पुराना सौ दिन
अर्थः साधारण ज्ञान होने से अनुभव होने का अधिक महत्व होता है।
न रहेगा बॉंस, न बजेगी बाँसुरी
अर्थः ऐसी परिस्थिति जिसमें काम न हो सके।
नाई की बरात में सब ही ठाकुर
अर्थः सभी का अगुवा बनना।
नाक कटी पर घी तो चाटा
अर्थः लाभ के लिए निर्लज्ज हो जाना।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
नानी के आगे ननिहाल की बातें
अर्थः बुद्धिमान को सीख देना।
नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे
अर्थः खाना किसी का, गाना किसी का।
नानी क्वाँरी मर गई, नाती के नौ-नौ ब्याह
अर्थः झूठी बड़ाई।
नाम बड़े दर्शन छोटे
अर्थः झूठा दिखावा।
नाम बढ़ावे दाम
अर्थः किसी चीज का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है।
नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमाए खाए
अर्थः बदनामी से बुरा और नेकनामी से भला होता है।
नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर
अर्थः अत्यधिक घबराहट की स्थिति।
नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना
अर्थः ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु।
नीम हकीम खतरा-ए-जान
अर्थः अनुभवहीन व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है।
नेकी और पूछ-पूछ
अर्थः भलाई का काम।
नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अर्थः अत्यन्त मंद गति से कार्य करना।
नौ नकद, न तेरह उधार
अर्थः नकद का काम उधार के काम से अच्छा।
नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
अर्थः जीवन भर कुकर्म करके अन्त में भला बनना।
पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली‍ ही सही
अर्थः सबकी राय में राय मिलाना।
पंचों का कहना सिर माथे पर, परनाला वहीं रहेगा
अर्थः दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
पकाई खीर पर हो गया दलिया
अर्थः दुर्भाग्य।
पगड़ी रख, घी चख
अर्थः मान-सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
पढ़े तो हैं पर गुने नहीं
अर्थः पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
पढ़े फारसी बेचे तेल
अर्थः गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यवश छोटा काम मिलना।
पत्थर को जोंक नहीं लगती
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पत्थर मोम नहीं होता
अर्थः निर्दय आदमी दयावान नहीं बन सकता।
पराया घर थूकने का भी डर
अर्थः दूसरे के घर में संकोच रहता है।
पराये धन पर लक्ष्मीनारायण
अर्थः दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना।
पहले तोलो, फिर बोलो
अर्थः समझ-सोचकर मुँह खोलना चाहिए।
पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा
अर्थः मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती।
पाँचों उँगलियाँ घी में
अर्थः चौतरफा लाभ।
पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं
अर्थः सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
पागलों के क्या् सींग होते हैं
अर्थः पागल भी साधारण मनुष्य होता है।
पानी केरा बुलबुला अस मानुस के जात
अर्थः जीवन नश्वर है।
पानी पीकर जात पूछते हो
अर्थः काम करने के बाद उसके अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार करना।
पाप का घड़ा डूब कर रहता है
अर्थः पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
पिया गए परदेश, अब डर काहे का
अर्थः जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना।
पीर बावर्ची भिस्ती खर
अर्थः किसी एक के द्वारा ही सभी तरह के काम करना।
पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं
अर्थः वर्तमान लक्षणों से भविष्य का अनुमान लग जाता है।
पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय
अर्थः सपूत स्वयं कमा लेगा, कपूत संचित धन को उड़ा देगा।
पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन
अर्थः स्थान बदलने से भाग्य और स्व‍भाव नहीं बदलता।
पेड़ फल से जाना जाता है
अर्थः कर्म का महत्व उसके परिणाम से होता है।
प्यासा कुएँ के पास जाता है
अर्थः बिना परिश्रम सफलता नहीं मिलती।
फिसल पड़े तो हर गंगे
अर्थः बहाना करके अपना दोष छिपाना।
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
अर्थः ज्ञान न होना।
बकरे की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया
अर्थः भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है
अर्थः शक्तिशाली व्यक्ति निर्बल को दबा लेता है।
बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है
अर्थः जहाँ बहुत होता है वहाँ घटते-घटते भी काफी रह जाता है।
बड़े बोल का सिर नीचा
अर्थः घमंड करने वाले को नीचा देख्‍ाना पड़ता है।
बनिक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात
अर्थः छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।
बनी के सब यार हैं
अर्थः अच्छे दिनों में सभी दोस्त बनते हैं।
बरतन से बरतन खटकता ही है
अर्थः जहाँ चार लोग होते हैं वहाँ कभी अनबन हो सकती है।
बहती गंगा में हाथ धोना
अर्थः मौके का लाभ उठाना।
बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा
अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे
अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया
अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़
अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
बाप से बैर, पूत से सगाई
अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव
अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं
अर्थः एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता
अर्थः काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
बासी बचे न कुत्ता खाय
अर्थः जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप
अर्थः जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले
अर्थः मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती
अर्थः बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
बिल्ली और दूध की रखवाली?
अर्थः भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
बिल्ली के सपने में चूहा
अर्थः जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
बिल्ली गई चूहों की बन आयी
अर्थः डर खत्म होते ही मौज मनाना।
बीमार की रात पहाड़ बराबर
अर्थः खराब समय मुश्किल से कटता है।
बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम
अर्थः वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
बुढ़ापे में मिट्टी खराब
अर्थः बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा
अर्थः प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
सिंह के वंश में उपजा स्यार
अर्थः बहादुरों की कायर सन्तान।
सिर फिरना
अर्थः उल्टी-सीधी बातें करना।
सीधे का मुँह कुत्ता चाटे
अर्थः सीधेपन का लोग अनुचित लाभ उठाते हैं।
सुनते-सुनते कान पकना
अर्थः बार-बार सुनकर तंग आ जाना।
सूत न कपास जुलाहे से लठालठी
अर्थः अकारण विवाद।
सूरज धूल डालने से नहीं छिपता
अर्थः गुण नहीं छिपता।
सूरदास की काली कमरी चढ़े न दूजो रंग
अर्थः स्वभाव नहीं बदलता।
सेर को सवा सेर
अर्थः बढ़कर टक्कर देना।
सौ दिन चोर के, एक दिन साह का
अर्थः चोरी एक न एक दिन खुल ही जाती है।
सौ सुनार की एक लोहार की
अर्थः सुनार की हथौड़ी के सौ मार से भी अधिक लुहार के घन का एक मार होता है।
हज्जाम के आगे सबका सिर झुकता है
अर्थः गरज पर सबको झुकना पड़ता है।
हड्डी खाना आसान पर पचाना मुश्किल
अर्थः रिश्वत कभी न कभी पकड़ी ही जाती है।
हर मर्ज की दवा होती है
अर्थः हर बात का उपाय है।
हराम की कमाई हराम में गँवाई
अर्थः बेईमानी का पैसा बुरे कामों में जाता है।
हर्रा लगे न फिटकरी रंग आए चोखा
अर्थः बिना कुछ खर्च किए काम बनाना।
हाथ सुमरनी पेट कतरनी
अर्थः ऊपर से अच्छा भीतर से बुरा।
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और
अर्थः भीतर और बाहर में अंतर होना।
हाथी निकल गया दुम रह गई
अर्थः थोड़े से के लिए काम अटकना।
हिजड़े के घर बेटा होना
अर्थः असंभव बात।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात
अर्थः अच्छे गुण आरम्भ में ही दिखाई देने लगते हैं।

मैथिलीशरण गुप्त

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